डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के 10 माह बीत चुके लेकिन अबतक फाइनल मेरिट लिस्ट का प्रकाशन नहीं किया गया है। एक तरफ पूर्व की रघुवर सरकार जहां परीक्षा को पूरा कराने में बेवजह देरी सिस्टम का सुस्त रवैया पर छात्र लगातार आंदोलन करते रहे और नई सरकार बने 6 महीना हो जाने के उपरांत भी अब तक राज्य कर्मचारी चयन आयोग इन विषयों पर पर्दा डाले हुए हैं। बताते चलें कि नियाेजन नीति पर जो केस चल रहा है अब तक कुछ नहीं हुआ, केवल तारीख पर तारीख ही मिलते रहा है।
रांची: झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से 2017 में 3088 पदों के लिए विज्ञापन निकला। जिसमें कुल 6 तरह के पोस्ट थे। दो तरह के पोस्ट जिला स्तर का और चार तरह के पोस्ट राज्यस्तर के थे। पंचायत सचिव पद के लिए 50 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थी। इस वेकेंसी के लिए लिखित परीक्षा 21, 28 जनवरी और 4 फ़रवरी 2018 को हुई थी। इसमें सफल अभ्यर्थियों की स्किल और टाइपिंग टेस्ट 1 जुलाई से 8 जुलाई 2019 तक हुआ। उसके बाद स्किल टेस्ट और टाइपिंग टेस्ट में सफल अभ्यर्थियों का डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन 27 अगस्त से 31 अगस्त और 3 सितम्बर से 7 सितम्बर 2019 तक दो पालियों में किया गया। बावजूद इसके नतीजों के इंतजार में अभ्यर्थी अब धीरज खोने लगे हैं। यह जानकारी आंदोलनकारियों द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दी गई है।
डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के 10 माह बीत चुके लेकिन अबतक फाइनल मेरिट लिस्ट का प्रकाशन नहीं किया गया है। एक तरफ पूर्व की रघुवर सरकार जहां परीक्षा को पूरा कराने में बेवजह देरी सिस्टम का सुस्त रवैया पर छात्र लगातार आंदोलन करते रहे और नई सरकार बने 6 महीना हो जाने के उपरांत भी अब तक राज्य कर्मचारी चयन आयोग इन विषयों पर पर्दा डाले हुए हैं। बताते चलें कि नियाेजन नीति पर जो केस चल रहा है अब तक कुछ नहीं हुआ, केवल तारीख पर तारीख ही मिलते रहा है। आज नियोजन नीति पर 17 जुलाई को होने वाली सुनवाई टल गई है। परीक्षार्थियों का कहना है कि झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग से रिजल्ट के बारे में पूछने पर कहा जाता है कि नियोजन नीति संख्या 5938 पर झारखण्ड हाईकोर्ट की तरफ से स्टे लगा हुआ है, इसलिए मेरिट लिस्ट का प्रकाशन नहीं हो रहा है। जबकि परीक्षार्थियों का कहना है कि पूर्व महाधिवक्ता ने साफ शब्दो मे कहा था कि पंचायत सचिव नियुक्ति पर कोई स्टे नहीं है।
अभ्यर्थियों के लगातार आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विभिन्न जिलों के बहुत सारे युवा छात्र जो लगातार आंदोलनरत हैं, जिसमें गुलाम हुसैन, निहाल शर्मा, रमेश लाल, नेहा प्रवीण, प्रिंस कुमार,धर्मेंद्र पंडीत ,अनुज कुशवाहा, सुमित अंदाजा, आलोक आनंद व अन्य सभी बताते हैं कि 22 जनवरी 2020 को नियोजन नीति पर सुनवाई के दौरान झारखण्ड हाईकोर्ट ने भी मौखिक तौर पर कहा था कि पंचायत सचिव की नियुक्ति पर कोई स्टे नहीं है व एडवर्टाइजमेंट पर रोक नही लगाया गया है। साथ ही 11 जिला पर कोई रोक नही है, फिर भी सरकार और सरकारी सिस्टम 4913 पंचायत सचिव के भविष्य को दरकिनार कर रही है। परीक्षार्थी बताते हैं कि इस विज्ञापन के बाद JSSC ने कई विज्ञापन निकाला और नियुक्ति भी हुई। JSSC पंचायत सचिव परीक्षा की भले ही मेरिट लिस्ट नहीं निकाल रहा लेकिन इसके विज्ञापन के बाद निकले कई विज्ञापनों के आधार पर नियुक्ति भी कर ली गई है। राजस्व कर्मचारी, दरोगा, आईआरबी, रेडियो ऑपरेटर, और वायरलेस दरोगा की वेकेंसी, पंचायत सचिव के बाद निकाली गई जबकि इन सबकी नियुक्ति भी हो गई सैलरी भी उठा रहे हैं पर पंचायत सचिव स लिपिक की अंतिम मेधा सूची मेरिट लिस्ट क्यों नहीं जारी हो रही है इस पर कोई जवाब नही मिल रहा है। छात्र महामारी के इस काल में लगातार आन्दोलनरत है। अभ्यर्थी करे तो करे क्या सिस्टम और व्यवस्था से परेशान है।
बीते दिनों जब परीक्षार्थी पंचायत सचिव परीक्षा की मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग को लेकर 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री आवास घेरने निकले थे। मोरहाबादी से निकले छात्र जब एसएसपी आवास के पास पहुंचे तो पहले उन्हें रोकने का प्रयास हुआ और जब परीक्षार्थी नहीं रुके तो उनपर लाठियां भी बरसाई गई। इसमें कई छात्र घायल भी हुए थे।