नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ शनिवार को हुई बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंपे जाने की इच्छा जतायी। हालांकि, कुछ महीने पहले व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पत्र लिखने वाले नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव और पार्टी के भीतर नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि वह पार्टी की ओर से दी जाने वाली किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार हैं और अध्यक्ष को चुनने का फैसला चुनाव पर छोड़ना चाहिए। दूसरी तरफ, पत्र लिखने वाले नेताओं के धड़े ने राहुल गांधी की ओर से ऐसी कोई टिप्पणी किए जाने से इनकार किया है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने एकमत से राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की इच्छा जाहिर की। इन नेताओं में कई ऐसे वरिष्ठ नेता भी शामिल थे, जिन्होंने सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पहले पत्र लिखा था। इन नेताओं को G-23 नाम से चर्चा मिली थी क्योंकि अगस्त में सोनिया गांधी को खत लिखने वालों में 23 नेता शामिल थे।
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं वरिष्ठ नेताओं को महत्व देता हूं। इनमें से बहुत सारे लोगों ने मेरे पिता के साथ काम किया है।’ सूत्रों ने यह भी बताया कि पत्र लिखने वाले नेताओं के धड़े ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पर जोर दिया ताकि इसकी विश्वसनीयता बढ़ सके। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के भीतर नेताओं को जिम्मेदारी दिए जाने के बाद उनकी जवाबदेही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि सभी नेताओं को साथ मिलकर चलने और संगठन को मजबूत बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में संगठन, तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा।
बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, ‘राजनीति में जो होता है, वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं। जब सभी नेताओं को राहुल गांधी और सोनिया जी के नेतृत्व में विश्वास है तो फिर झगड़ा कहां है।’ उन्होंने यह भी बताया, ‘बैठक में सभी की इच्छा थी कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करें और सब मिलकर उन ताकतों के खिलाफ लड़ें, जो देश में लोकतंत्र को खत्म कर रही हैं।’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया, ‘आज यह पहली बैठक थी। आगे ऐसी बैठकें और होंगी। शिमला और पंचमढ़ी की तर्ज पर चिंतन शिविर भी होगा।’ उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे वातावरण में चर्चा हुई। पार्टी को मजबूत करने के लिए जो भी मुद्दे उठाए गए थे, उनका संज्ञान लिया जाएगा। आगे कुछ लोग बैठेंगे और उनकी बात भी सुनी जाएगी।’
राहुल गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ए के एंटनी, अंबिका सोनी, अशोक गहलोत, पी चिदंबरम, कमलनाथ और हरीश रावत की मौजूदगी में पत्र लिखने वाले नेताओं की सोनिया से मुलाकात हुई। सोनिया के आवास 10 जनपथ पर हुई इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर और कई अन्य नेता शामिल हुए। ये नेता पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल थे।
सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यममंत्री कमलनाथ की अहम भूमिका थी। कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले भी सोनिया से मुलाकात की थी।
दरअसल इस साल अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी। इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया। कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।
बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ प्रदेशों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी, आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी और इसमें व्यापक बदलाव की मांग की थी। इसके बाद वे फिर से कांग्रेस के कई नेताओं के निशाने पर आ गए।