झारखंड में 6 महीने से पेंशन बंद, कोविड राहत के कारण पैसा रोका गया

Approved by admin on Sat, 01/30/2021 - 18:21

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

लातेहार: बरवाडीह (लातेहार जिला) में छह माह से सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान न होने के विरोध में बरवाडीह में बुजुर्ग, विधवाएं और दिव्यांगजन कल बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। कस्बे से होकर नारों के साथ रैली निकालने के बाद वे अपनी मांगों को लेकर प्रखंड कार्यालय पर धरने पर बैठ गए।

धरना प्रतिभागियों में बरवाडीह के सबसे गरीब समुदायों के लोग शामिल थे, जिनमें विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) भी थे। उनमें से कई, विशेष रूप से एकल जीवनयापन करने वाले लोगों के लिए, पेंशन की 1000 रुपये प्रति माह की मामूली राशि जीवन रेखा है। प्रदर्शन में सैकड़ों ऐसे विधवाएं और बुजुर्ग भी थे, जिन्हें बिल्कुल भी पेंशन नहीं मिलता। उनमें से ज्यादातर ने आवेदन किया है, अक्सर कई बार, लेकिन उन्हें अपने आवेदन की स्थिति का कोई पता नहीं है।

28 नवंबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सख्त निर्देश दिए थे कि हर महीने की 7 तारीख तक पेंशन का भुगतान त्वरित रूप से किया जाना चाहिए। बीस साल बाद भी, लंबित भुगतान की स्थिति बनी हुई है।

मटनाग गांव के एक बुजुर्ग दंपती बंधु परहैया और कबुतरी देवी को जून 2020 से पेंशन नहीं मिल रही है, बंधु जो मोतियाबिंद के कारण बमुश्किल देख पाते हैं, उन्हें पेंशन राशि जीवनयापन के लिए अपर्याप्त लगती है और 2500 रुपये प्रतिमाह की मांग करते हैं।

बरवाडीह प्रखंड के कोचला गांव की तेतरी देवी अपने वृद्धा पेंशन के आवेदन करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुकी हैं, उन्हें कोई पेंशन नहीं मिल रही है।
चुंगरू पंचायत के नवाडीह गांव की अंती देवी को पिछले पांच साल से उसकी पेंशन नहीं मिल रही है। वे बेकाबू रूप से कांपते सिर और आवाज के साथ अपनी समस्याओं को बता पाती हैं।
इस प्रदर्शन की मुख्य मांगें हैं- (1) सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार प्रत्येक माह की 7 तारीख तक पेंशन का त्वरित भुगतान; (2) कम से कम 2,500 रुपये प्रति माह की मासिक पेंशन; (3) यूनिवर्सल कवरेज; (4) सभी लंबित आवेदनों की तत्काल स्वीकृति।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल के महीनों में सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर साहसिक घोषणाएं की हैं। कई मौकों पर उन्होंने पेंशन बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह करने का वादा किया था- यह वादा 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणापत्र का भी हिस्सा था। 4 फरवरी 2020 को दुमका में उन्होंने समय पर भुगतान का वादा करते हुए यहां तक कहा कि “पहले गरीबों को पेंशन, फिर डीसी को वेतन”।  29 दिसंबर 2020 को उन्होंने झारखंड में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के सार्वभौमिक कवरेज का वादा किया।

धरने के दौरान एक चौंकाने वाली कहानी सामने आई कि क्यों वृद्धा पेंशन को 6 महीने से लातेहार में रोक कर रखा गया है। झारखंड में सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान 1,000 रुपये प्रति माह की दर से किया जाता है, जिसमें से 300 रुपये प्रति माह राष्ट्रीय सामाजिक सहायता  कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत केंद्र सरकार से आता है, एवं बाकी राज्य सरकार से। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत बुजुर्गों को 500 रुपये की दो किस्तें देने के लिए नेशनल लॉकडाउन के दौरान एनएसएपी के पैसे का इस्तेमाल किया गया। नतीजतन, 300 रुपये प्रति माह के केंद्रीय अंशदान की धनराशि समाप्त हो गया, और मासिक पेंशन भुगतान बंद कर दिया गया (केन्द्र एवं राज्य दोनों की अंशदान राशि जब तक साथ उपलब्ध न हो तब तक भुगतान नहीं किया जा सकता)। समस्या को “अनुपूरक बजट” के द्वारा अब समाधान किया जा रहा हैI (स्रोत: WCD&SS Department, GoJ.) 
 

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