केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के कई हिस्सों में आंदोलन और प्रदर्शन का दौर जारी है। इस बीच मध्यप्रदेश में किसानों को एकजुट करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कमान संभाल रहे हैं।
मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन उस तरह गति नहीं पकड़ पाया है जैसी पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चल रहा है। कांग्रेस ने राज्य के कई स्थानों पर धरना प्रदर्शन दिया और अब किसानों की लामबंदी की कोशिश तेज हो गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चार दिन तक किसानों के बीच रहेंगे और उनसे संवाद भी करेंगे। उनका यह कार्यक्रम पूरी तरह गैर राजनीतिक होगा।
तय कार्यक्रम के अनुसार दिग्विजय सिंह बुधवार को रात में रतलाम जिले के रेनमहू चौपाटी में गैर राजनीतिक किसान चौपाल करने वाले हैं। इसी तरह चार मार्च को रतलाम के डेलनपुर में गैर राजनीतिक किसान महापंचायत, पांच मार्च को उज्जैन जिले के बड़नगर में किसान महापंचायत बुलाई गई है और छह मार्च को सीहोर के श्यामपुर में किसान महापंचायत होने वाली है।
पिछले दिनों से राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक पर कांग्रेस में घमासान जारी है। इन दोनों ही मामलों में दिग्विजय सिंह का अब तक कोई बयान नहीं आया है। केंद्र में जहां जी-23 की चर्चा है तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस में गोडसे समर्थक बाबूलाल चौरसिया को शामिल किए जाने का मामला गरमाया हुआ है। इन दोनों ही मामलों में सिंह का कोई बयान नहीं आया है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह वर्तमान में अपने को कांग्रेस के अंदर चल रहे विवादों से दूर रखना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने पार्टी के भीतर चल रहे विवाद पर कोई बयान नहीं दिया है और दूसरी ओर से गैर राजनीतिक अभियान पर निकले हैं, जिसके जरिए किसानों को एकजुट करना चाह रहे हैं।