झारखंड सरकार इस गंभीर मामले पर चुप्पी साध कर पूरे मामले को किसी षड्यंत्र के तहत रफा-दफा करने की कोशिश में प्रतीत होती है। रूपा तिर्की के मामले पर उनके परिजनों ने मान्य झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा दिया है। आरोप है कि कोई पंकज मिश्रा जो बारहेट विधानसभा में माननीय विधायक हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि भी हैं, के दबाव में सब कुछ उल्टा किया जा रहा है।
रांची/जमशेदपुर: सालखन मुर्मू ने रूपा तिर्की की संदिग्धं मौत के मामले मे झारखंड के राज्य पाल को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है। आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने पत्र में कहा है कि झारखंड के मुख्यूमंत्री हेमन्त सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा वर्तमान जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। पत्र में मुर्मू ने कहा, झारखंड प्रदेश के अधिकांश जिलों में शेड्यूल एरिया (अनुसूचित क्षेत्र) विद्यमान हैं। अतः यहां पांचवीं अनुसूची के मार्फत " अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण " के सकारात्मक तत्वों का प्रभावी क्रियान्वयन लाजिमी है। तत्सम्बन्धी " शांति और सुशासन " ( Peace and Good Government - Article 244 (1), part B, 5 (2) के आलोक में रूपा तिर्की के मामले को संज्ञान में लेना जरूरी है। रूपा तिर्की, एक आदिवासी महिला पुलिस अफसर की संदिग्ध मौत - 3 मई 2021 को साहिबगंज में, की घटना पूरे झारखंड की जनमानस के लिए गंभीर दुख, चिंता और संदेह का मामला बना हुआ है। आम जनता, सामाजिक- राजनीतिक संगठन रूपा तिर्की को न्याय देने और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। मगर झारखंड सरकार इस गंभीर मामले पर चुप्पी साध कर पूरे मामले को किसी षड्यंत्र के तहत रफा-दफा करने की कोशिश में प्रतीत होती है। रूपा तिर्की के मामले पर उनके परिजनों ने मान्य झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा दिया है। आरोप है कि कोई पंकज मिश्रा जो बारहेट विधानसभा में माननीय विधायक हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि भी हैं, के दबाव में सब कुछ उल्टा किया जा रहा है।
अतएव चूंकि रूपा तिर्की के संदिग्ध मौत का मामला झारखंड के शांति और सुशासन को प्रभावित करता है, आपसे हमारा सविनय निवेदन है कि इसके सीबीआई जांच का रास्ता तुरंत प्रशस्त किया जाए। रूपा तिर्की के पहले महान वीर शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू, भोगनाडीह, साहिबगंज ज़िला के संदिग्ध मौत ( 12.6.2020) के मामले पर भी झारखंड सरकार ने सीबीआई जांच के नाम पर ठगने का काम किया है। इसके अलावा हेमंत सोरेन सरकार टीएसी का गठन नहीं कर, सीएनटी/ एसपीटी कानून (लैंड पूल) तोड़ने का विधेयक 23.3.21 को पारित कर, झारखंडी डोमिसाइल नीति नहीं बनाकर, संताली को हिंदी के साथ झारखंड की प्रथम राजभाषा (अनुच्छेद 345) नहीं बना कर, सरना धर्म कोड की मान्यता के मामले पर टालमटोल का रवैया अपनाकर " शांति और सुशासन " को धत्ता बताने का काम कर रही है।
रूपा तिर्की और उपरोक्त अन्य मामलों पर विफल हेमंत सोरेन सरकार जनविरोधी और संविधान विरोधी कार्य कर रही है। अतः आदिवासी सेंगेल अभियान ( असा ) और अन्य अनेक जनसंगठन 7 जून 2021 को झारखंड, बंगाल, उड़ीसा, असम और बिहार के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में झारखंड सरकार के खिलाफ अपनी मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य हैं।