संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी नहीं पहुंचे। सरकार की ओर से राजनाथ सिंह ने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा। उधऱ, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम की गैर मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पर माफी मांगते हुए कहा था कि वे किसानों को समझा नहीं पाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि कल किसी दूसरे रूप में इन कानूनों को लाया जाएगा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे थे कि बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे, लेकिन किसी कारण से वह नहीं आए। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री से कृषि कानूनों को लेकर कुछ बातों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे। खड़गे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में 15-20 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। वह सरकार को सहयोग करना चाहते हैं। अच्छे विधेयक आएंगे तब हम सरकार को सहयोग करेंगे। अगर हमारी बात नहीं मानी गई, तो व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सरकार से किसानों के उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर तत्काल कानून बनाने के संबंध में कदम उठाने की मांग की। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने का विषय तथा महंगाई, पेट्रोल-डीजल एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव का मुद्दा भी बैठक में उठा । बैठक में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बारे में भी चर्चा हुई।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। इसमें विभिन्न विषयों पर रचनात्मक चर्चा हुई और विपक्ष की ओर से कुछ अच्छे सुझाव आए। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष के सकारात्मक सुझावों पर विचार करने और नियमों के तहत अध्यक्ष एवं सभापति की अनुमति से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है। जोशी ने कहा कि हमने अपील की है कि सदन में बिना किसी व्यवधान के कामकाज हो। विपक्ष ने भी आश्वस्त किया है कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करेंगे।
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा। सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित नहीं थे। सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने कोरोना के कारण जान गंवाने वालों को 4 लाख का मुआवजा देने की मांग की। इसके साथ सरकार से किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा देने को कहा गया।