लोकतांत्रिक संस्था फ्रीडम हाउस ने भारत की रैंकिंग घटाकर स्वतंत्र से ‘आंशिक स्वतंत्र’ कर दी है। साथ ही आशंका जताई है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तानाशाही या अधिनायकवाद की तरफ बढ़ रहा है।
नई दिल्ली: भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के शासन में भारत में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता लगातार गिर रही है और ‘भारत ने एक वैश्विक लोकतांत्रिक अगुवा का रास्ता बदलकर एक संकीर्ण हिंदु हितकारी देश का रुप अख्तियार कर लिया है। और इसकी कीमत समावेशी और समान अधिकारों को तिलांजलि देकर चुकाई जा रही है।‘ यह कहना है लोकतांत्रिक संस्था फ्रीडम हाऊस का, जिसने भारत की रैंकिंग स्वतंत्र देश से घटाकर ‘आशंकि स्वतंत्र’ देश के रूप में की है।
फ्रीडम हाऊस एक स्वतंत्र लोकतंत्र रिसर्च इंस्टीट्यूट है। अपनी रिपोर्ट में इस संस्था ने कहा है कि भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं, पत्रकारों को धमकियां देने और उत्पीड़न की घटनाओं और अत्यधिक अदालती हस्तक्षेप की घटनाओं में बहुत तेजी आई है। रिपोर्ट कहती है कि इन सबमें तेजी 2014 में नरेंद्री मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार आने के बाद हुई है।
फ्रीडम हाऊस की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत ने विश्व में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने वाले देश के तौर पर अपना रुतबा बदलकर चीन जैसे देशों की तरह एक तानाशाही रुख अपना लिया है। मोदी और उनकी पार्टी ने भारत को एक अधिनायकवादी राष्ट्र के रूप में बदल दिया है।”
रिपोर्ट में भारत की कमज़ोर स्थित पर चिंता जताते हुए इसके कारण भी गिनाये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक-
1.भारत सरकार ने कश्मीर में शटडाउन किया। सीएए और नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
2.विरोध प्रदर्शनों के प्रति मोदी सरकार के रुख की वजहर से भारत के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी स्वरूप को ख़तरा उत्पन्न हो गया।
3.मोदी सरकार ने देश की बहुलता और नागरिक अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता से ख़ुद को दूर कर लिया जिसके बिना लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता।
4.मोदी सरकार के रवैये के कारण भारत के प्रति नज़रिया बदल रहा है। अब चीन के समान भारत को भी लोकतंत्र के मुद्दे पर आलोचना झेलनी पड़ रही है।
संस्था ने कोरोना संकट के दौरान बेढंगे तरीके से लगाए गए लॉकडाउन की भी आलोचना की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लॉकडाउन के कारण लाखों मजदूरों और कामगारों के सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया और उन्हें सैकड़ों मील पैदल चलकर अपने गांवों तक जाना पड़ा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादियों ने कोरोना संक्रमण के लिए गलत तरीके से मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया और उन्हें उन्मादी भीड़ का निशाना बनना पड़ा।
फ्रीडम हाउस ने भारत के अलावा हांगकांग में भी लोकतांत्रिक क्षय की बात कही है जहां चीन ने तानाशाहीपूर्ण ने सुरक्षा कानून लागू किए हैं। इसके साथ ही बेलारुस और इथियोपिया में भी लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन को प्रमुखता से सामने रखा है।