नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश देते हुए केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कमेटी उन तीनों कृषि कानूनों की समीक्षा करेगी अगर कुछ कमी है तो अपने नतीजे सामने रखेगी। क्या किसान उस कमिटी के सामने अपनी बातें रखने को तैयार होंगे? इस सवाल के संदर्भ में कोर्ट सख्त है कि किसान जब सरकार के सामने जा सकते हैं तो कमिटी के सामने क्यों नहीं।
इससे पहले, किसान आंदोलन पर अपना निर्देश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी के गठन कर उक्त तीन कानूनों की समीक्षा की बात की है। कोर्ट ने कहा कि कानून की समीक्षा, उसके गुण दोष, करने से काई उन्हें नहीं रोक सकता। इसी आलोक में समिति के गठन की बात कही गई है। कोर्ट ने कहा कि अगर आंदोलित किसान सरकार के सामने जा सकते हैं तो बननेवाली कमिटी के सामने क्यों नहीं! माना जा रहा है कि कमिटी की समीक्षा के बाद उसमें पायी गईं कमियों में संशोधन के लिए सरकार को कहा जा सकता है। वैसे भी सरकार तो पहले से ही कानूनों में संशेाधन की बात कहती रही है। अब प्रश्न उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद किसान कमिटी के लिए तैयार होंगे? क्योंकि किसान संगठन कल भी कह चुके हैं कि वे किसी कमिटी के पक्ष में नहीं हैं। दूसरा सवाल, क्या किसान अपना आंदोलन स्थगित करेंगे?