दिल्ली में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के कारण 2,267 लोगों की मौत हो चुकी है और यह पूरे आंकड़े का केवल एक हिस्सा है, क्योंकि अनेकों मौतों की गिनती भी नहीं हो रही है। 10 दिनों से दिल्ली लॉकडाउन में है। हर रोज अस्पतालों में बेड की मांग को लेकर परिवार भटकते रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी को लेकर अस्पताल प्रबंधन सरकार को आपातकालीन मैसेज भेजते रहते हैं, जिसकी कमी से तमाम लोगों की मौत भी हो चुकी है। इस तबाही के बीच भी एक परियोजना ऐसी है जो जोर-शोर से चल रही है, वह सेंट्रल विस्टा परियोजना है। आइये जानते हैं क्या है सेंट्रल विस्टा।
इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।
नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य सवा तीन किलोमीटर के क्षेत्र को पुनर्विकास करना है, जिसका नाम सेंट्रल विस्टा है, जो 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा निर्मित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित है। जिसमें कई सरकारी इमारतों, जिसमें कई प्रतिष्ठित स्थल भी शामिल हैं, को तोड़ना और पुनर्निर्माण करना शामिल है और कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई संसद का निर्माण करना है। सितंबर 2019 में जब सरकार ने इस परियोजना के लिए जल्दबाजी में निविदाएं जारी कीं, तो इसकी घोर आलोचना की गई। पिछले एक साल में यह आलोचना और भी तेज हो गई है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने देश की स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। कुछ लोगों ने कहा है कि सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर जो राशि खर्च कर रही है, वह हजारों ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी। केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे 162 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की लागत 201 करोड़ रुपये है। इसके विपरीत सिर्फ नए संसद भवन का बजट लगभग पांच गुना अधिक 971 करोड़ रुपये का है।
हालांकि, बढ़ती आलोचनाएं भी सरकार को डिगा नहीं सकीं। बीते 20 अप्रैल को इसने उस भूखंड पर तीन भवनों के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित कीं, जहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वर्तमान में खड़ा है। इस बीच, पुनर्विकास का काम जारी है, जबकि शहर के बाकी हिस्से बंद हैं। स्क्रॉल डॉट इन द्वारा हासिल किए गए सरकार के पत्राचार दिखाते हैं कि वर्तमान में केवल निर्माण परियोजनाएं जिनके पास साइट पर रहने वाले श्रमिक हैं, उन्हें लॉकडाउन दिशानिर्देशों के अनुसार दिल्ली में संचालित करने की अनुमति है। लेकिन सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए अपवाद बनाया गया है, जिसे एक आवश्यक सेवा घोषित किया गया है।
अब आपको यह भी बतायें कि इस परियोजना पर रोक लगाने के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि कोविड-19 के दौरान सिर्फ बहुत ज़रूरी मामलों पर ही सुनवाई होगी और ये अतिआवश्यक मामला नहीं है।