मॉस्को: करीब एक महीने पहले रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को रजिस्टर कर दुनिया को चौंका दिया था। यहां तक कि इसके नवंबर तक इमर्जेंसी में इस्तेमाल किए जाने के लिए अप्रूवल की बातें भी कही जाने लगीं। इसी बीच स्वास्थ्य अधिकारियों और एक्सपर्ट्स ने कहा है कि रूस ने अभी ट्रायल के अलावा बड़ी आबादी को वैक्सीन नहीं दी है। यहां तक कि बड़े-बड़े इलाकों में बेहद कम खुराकें भेजी जा रही हैं।
वैक्सिनेशन कैंपेन के धीमे होने की वजह को अभी समझा नहीं जा सका है। इसके पीछे सीमित उत्पादन क्षमता भी हो सकती है। एक राय यह भी है कि शायद ऐसे उत्पाद को बड़ी आबादी को देने में झिझक महसूस की जा रही है। हाल ही में 20 लाख लोगों वाले क्षेत्र में सिर्फ 20 लोगों के लिए खुराकों का शिपमेंट भेजा गया।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह नहीं बताया है कि कितने लोगों को रूस में वैक्सिनेट किया गया है। देश के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा कि रूस के प्रांतों में छोटे शिपमेंट भेजे गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कितनी खुराकें भेजी गई हैं और कब तक ये उपलब्ध हो सकेंगी। उन्होंने यह बताया था कि सेंट पीटर्सबर्ग के पास लेनिनग्रैड रीजन में सबसे पहले सैंपल वैक्सीन भेजी जाएगी।
वहीं, असोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल ऑर्गनाइजेशन की डायरेक्टर स्वेतलाना जाविडोवा का कहना है कि अगर इस वैक्सीन का उत्पादन सीमित हो तो यह अच्छी बात है क्योंकि इसे जल्दीबाजी में अप्रूवल दिया गया था। सितंबर में Lancet में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक यह वैक्सीन सुरक्षित है। फेज 1 और फेज 2 के आंकड़ों के मुताबिक इसने सेल्युलर और एंटीबॉडी रिस्पांस जेनरेट किया। फेज 3 ट्रायल के नतीजे अक्टूबर-नवंबर में प्रकाशित होने की उम्मीद है।