LIC और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खतरे की घंटी, जानिए 7 बड़ी बातें

Approved by ..Courtesy on Thu, 10/04/2018 - 08:38

नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी IL&FS का हाल बेहाल है। इस दिग्गज कंपनी पर लगभग 90 हजार करोड़ का कर्ज है। इस मामले ने तेजी से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। शेयर बाजार में भूचाल की स्थिति है। निवेशकों में हड़कंप दिखाई दे रहा है। LIC, SBI, Central Bank, UTI समेत कई बड़ी कंपनियों की साख पर इसका बुरा असर पड़ा है। इस कंपनी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार की है। ऐसे में इस डूबती कंपनी को सहारा देने सरकार आगे आई है। पुराने बोर्ड को भंग कर नए बोर्ड का गठन कर दिया गया है। आइए डालते हैं मामले से जुड़ी खास बातों पर एक नजर:

Sections

उप्र में बेलगाम होती पुलिस के लिए जिम्मेदार कौन?

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश में आज अपराधियों से ज्यादा लोग पुलिस से खौफ खाने लगे हैं। उच्चाधिकारी जहां पुलिस को लगातार अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं, जनता से फ्रेंडली होने के टिप्स दे रहे हैं। 

Sections

Why land degradation in India has increased and how to deal with it

Ahmedabad: Land degradation can exacerbate climate change and threaten agricultural productivity, water quality, biodiversity, sustainable development, and the living conditions of humans and wildlife, among other effects. Globally, a third of our land is degraded, affecting three billion people, and it is expected to worsen with rising demand for food.

Sections

लेटर टू बापू, सेल्फी विद झाड़ू

प्रिय बापू, 

'इंडिया दैट इज भारत' से मेरा राम-राम। आज 2 अक्टूबर है। हर बरस आता है। आगे भी आएगा। तुझे याद करने का मौका हर बरस एक बार ही आता है। ऐसे में माला पहनाते तेरी तस्वीर संग एक क्लिक हो जाए। हां बापू! अब तो सेल्फी का जमाना है।

बापू, लोग तो तेरी नकल उतारने की होड़ में लग गए हैं। कोई फूल देता है तो तो कोई हाथ जोड़ता है, पर अपुन को मंदसौर के प्रोफेसर गुप्ता बहुत पसंद आए। पता है बापू, उन्होंने वही किया..नहीं समझे.. वो क्लास के पास नारेबाजी से परेशान थे। नारेबाजों को क्या रोका, नारेबाज उन्हें ही देशद्रोही कहने लगे। फिर क्या था..गुप्ताजी उनके पैर पकड़ने लगे। 

Sections

धारा 497 की समाप्ति उचित, मगर व्यभिचार को सदाचार तो मत कहें

Approved by Srinivas on Tue, 10/02/2018 - 08:54

बीते कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये कुछ ‘ऐतिहासिक’ फैसलों से ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट अचानक ‘आधुनिक’ और परिपक्व (मैच्योर्ड) हो गया है। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से अलग कर दिया था। अब ‘व्यभिचार’ को अपराध मानने वाली धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। यानी अब विवाहेतर सम्बन्ध (एडल्टरी), यानी किसी पुरुष का किसी गैर औरत (विवाहित) से दैहिक सम्बन्ध बनाना अपराध नहीं माना जायेगा। फिर शबरीमला मंदिर में हर उम्र की महिला के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के तीनों फैसले उचित हैं; और बदलते समय के अनुरूप भी। लेकिन क्या भारतीय

Sections

राजीव गांधी के हत्यारों को माफी के मायने

Approved by Srinivas on Tue, 10/02/2018 - 08:49

तमिलनाडु सरकार ने उम्रकैद की सजा काट रहे राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने की सिफारिश की है. यदि यह फैसला मानवीय आधार पर किया गया है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए. पर अफसोस कि ऐसा है नहीं.  कोई संदेह नहीं कि तमिलनाडु सरकार ने यह फैसला नस्लीय कारणों से लिया है. चूंकि कोर्ट से दोष सिद्ध और सजायाफ्ता हत्यारे तमिल मूल के हैं और उनके प्रति भारतीय तमिलों के बड़े हिस्से की भी सहानुभूति है, इसलिए एआईडीएमके की धुर विरोधी डीएमके ने भी, जो हमेशा से ‘लिट्टे’ का लगभग प्रत्यक्ष और मुखर समर्थन करती रही है, इस फैसले का समर्थन किया है.

Sections

WSS condemns the majority judgment of the SC regarding the arrests of 5 Human Rights Activists

WSS is deeply alarmed by the majority judgment of the Supreme Court which has dismissed the PIL filed by Romila Thapar, Devaki Jain, Satish Deshpande, Prabhat Patnaik and Maja Daruwalla and has in effect granted the notorious Pune Police impunity to carry on with its fabricated and malafide investigation in the Bhima Koregaon (FIR No. 4/2018) case.

Sections

हिंदुत्व एक जीवन शैली' वाले फैसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जताई नाखुशी

Approved by ..Courtesy on Fri, 09/28/2018 - 09:14

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने दिवंगत जस्टिस जेएस वर्मा के प्रसिद्ध एवं विवादित 'हिंदुत्व एक जीवन शैली' फैसले पर अब असहमति जताई और कहा कि इस फैसले ने राजनीतिक बहस को एकतरफा बना दिया। जबकि न्यायपालिका को संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखने के अपने बुनियादी कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सेना को धार्मिक अपीलों से अछूता रखने की जरूरत है। डॉ। सिंह दिवंगत कम्युनिस्ट नेता एबी बर्धन के दूसरे मेमोरियल लेक्चर में संबोधित कर रहे थे।

Sections