पटना: बिहार में एक मृत डॉक्टर का ट्रांसफर कर दिया गया। ये कमाल किया है बिहार का स्वास्थ्य विभाग ने। जिसका मंत्री मंगल पाण्डेय हैं। मृत डॉक्टर का तबादला किए जाने के मामले में सदन में जमकर हंगामा हुआ।
सदन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि 'मैं बता दूं कि सिविल सर्जन की जो प्रक्रिया है, वो लंबी होती है। जब सिविल सर्जन की पदस्थापना की संचिका बनती है, उसे बनने में 20 दिन से लेकर 1 माह तक का समय लगता है। इसलिए इसकी प्रकिया पहले ही शुरू हो गई थी। हालांकि कल जैसे ही अधिसूचना जारी हुई उसके बाद पता चला की शेखपुरा में जिनका पदस्थापन किया गया है, उनकी मृत्यु हो गई है। तो इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए, वहां दूसरे सिविल सर्जन की नियुक्ति कर दी गई है। वहीं इस मामले में दोषी अधिकारियों को शो कॉज जारी किया गया है। इसकी जांच कराई जा रही है और जो भी इस में दोषी पाए जाएंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी।'
स्वास्थ्य विभाग ने भी पेश की सफाई
मंत्री के अलावा स्वास्थ्य विभाग ने भी सफाई दिया है। प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि 'जिस वक्त पोस्टिंग के लिए इंटरव्यू हुआ था, उस वक्त वे स्वस्थ थे और उनके गुजर जाने की खबर नहीं मिली थी। ऐसे में तकनीकी कारणों से उनका पदस्थापना हो गया। इस मामले की जानकारी मिलते ही जिले के वरिष्ठ डॉक्टर को सिविल सर्जन का प्रभार दे दिया गया है।'
क्या है पूरा मामला
दरसअल, सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने 12 डॉक्टरों के तबादले का नोटिस जारी किया था। इसमें शामिल 12 डॉक्टरों में से एक डॉक्टर रामनारायण राम की मौत हो चुकी है। लेकिन विभाग ने उनका तबादला करने के साथ ही उन्हें प्रमोशन भी दे दिया।
मूल रूप से भोजपुर के रहने वाले रामनारायण राम बिक्रमगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे। लेकिन पिछले महीने ही कोरोना की वजह से उनकी मौत हो गई थी। विभाग को इस बात की जानकारी नहीं थी। ऐसे में उन्होंने जब डॉक्टरों के तबादले की लिस्ट तैयार की तो बिना किसी जांच के रामनारायण राम का भी नाम लिस्ट में डाल दिया और उन्हें सिविल सर्जन के तौर पर शेखपुरा जिले में तैनात कर दिया गया।