आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए राहत भरी खबर है। चारा घोटाले के देवघर कोषागार मामले में लालू को रांची हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को 50-50 हजार के निजी मुचलके पर बेल देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने लालू प्रसाद को अपना पासपोर्ट भी कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। फिलहाल दो मामलों में सजा होने की वजह से लालू को अभी जेल में ही रहना होगा। सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा को इसी मामले में 2013 में दोषी ठहराया था।
90 के दशक में चारा घोटाले का खुलासा होते ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था। 1996 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी लपटों ने तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव को भी झुलसा दिया। चारा घोटाले का दाग उनकी जिंदगी पर ऐसा लगा कि उन्हें सलाखों के पीछे तक जाना पड़ा।
लालू यादव 1990-97 तक 7 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे, उन्हीं के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाले का खुलासा हुआ। 1996 का साल था जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था। झारखंड के चाईबासा में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था।
एक वक्त था, जब बिहार के सियासी गलियारों से लेकर गांव-गांव तक लालू की धमक सुनाई देती थी, वो लालू फिलहाल बिहार से दूर झारखंड की राजधानी रांची की एक जेल में सजा काट रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 से पार्टी को बड़े परिणाम की आशा थी, लेकिन 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू को एक अदद सीट के भी लाले पड़ गए। लालू का सियासत से दूर होना उनकी पार्टी और परिवार दोनों पर भारी पड़ा।
लालू के जेल जाने के बाद दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई शुरू हो गई। 2018 में लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप की शादी हुई, पर कुछ दिन के बाद ही तेजप्रताप तलाक के लिए अदालत की शरण में पहुंच गए।