वर्मा सीवीसी रपट पर जवाब दाखिल करें : सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रपट पर जवाब देने के लिए कहा है। वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने लगाए हैं।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की पीठ ने सीवीसी की रपट को थकाऊं करार देते हुए कहा, "सीवीसी रपट कुछ आरोपों पर बहु प्रशंसनीय है, लेकिन अन्य आरोपों पर इतना प्रशंसनीय नहीं है, और कुछ बिंदुओं पर तो यह बिल्कुल निंदनीय है।" पीठ ने कहा कि कुछ और जांच की जरूरत हो सकती है।

प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि सीवीसी रपट आलोक वर्मा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील फली नरीमन को सीलबंद लिफाफे में दी जाए।

पीठ ने कहा, "हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस चरण में, कोई भी निर्णय लेने से पहले, सीवीसी की रपट की प्रति याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील को सीलबंद लिफाफे में दी जाए।"

अदालत ने यह भी कहा कि वर्मा भी अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में ही पेश करें।

अदालत ने कहा कि यह सीबीआई की पवित्रता और संस्थान पर लोगों का विश्वास बरकरार रखने के लिए जरूरी है।

वर्मा की तरफ से पेश नरीमन ने कहा कि वह सोमवार को अपना जवाब दाखिल करेंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई 20 नवंबर को मुकर्रर कर दी।

अदालत ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि सीवीसी रपट को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के साथ साझा करने का निर्णय 'मामले के अनोखो तथ्यों और एक बार के उपाय के रूप में ही' किया गया है।

सीवीसी रपट की प्रतियां महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल और महाधिवक्ता तुषार मेहता को भी दी जाएगी। अदालत ने इसके साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र को मामले में कोई भी प्रतिक्रिया दाखिल करने की जरूरत नहीं है।

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