मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा की है। हादसे के बाद से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। इस बीच मामले की जांच के लिए सोमवार को घटनास्थल पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) भी पहुंची।
हादसे में 190 से अधिक मौतों की खबर है। जब यह पुलि टूटा, तब उस पर 500 से अधिक लोग चढ़े हुए थे। मोरबी की पहचान यह ब्रिज 143 साल पुराना बताया जाता है। यह 1.25 मीटर (4.6 फीट) चौड़ा है। लंबाई 233 मीटर (765 फीट) थी।
कंपनी ने मेंटेनेंस के बाद पुल खोलने नगरपालिका के इंजीनियरों से उनका वेरिफिकेशन तक कराना मुनासिब नहीं समझा। न ही फिटनेस स्पेसिफिकेशन सर्टिफिकेट लिया। बिना परमिशन 26 अक्टूबर को ओरेवा कंपनी के MD जयसुख पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुल चालू करने का ऐलान कर दिया। जिस अंजता ओरेवा ग्रुप को पुल के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, इसे इस काम का अनुभव नहीं है। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाती है। ओरेवा ने सालभर पहले वारंटी वाले एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी। नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने स्वीकार कि कंपनी के कामकाज की निगरानी ठीक से नहीं हो सकी।
मोरबी हादसे में ब्रिज के टिकट का एक फोटो वायरल हुआ है। इस पर साफ लिखा है कि अगर पुल को कोई पर्यटक नुकसान पहुंचाएगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। वहीं टिकट पर दो कीमतें-12 और 17 रुपए लिखा है। इसमें लिखा है कि टिकट मांगे जाने पर दिखाएं। Exit के बाद दुबारा टिकट मान्य नहीं होगा। सवाल यह है कि जब पुल की क्षमता 100 लोगों की है, फिर 500 टिकट कैसे बेचे गए?