गठबधन हुआ तो गिरिडीह जिले में ,दो - दो सीटों पऱ झामुमो, कांग्रेस और भाकपा माले लड़ेगी चुनाव

:: कमलनयन ::

झारखंड में अबरख, कोयला और अब स्टील उद्योग में नई पहचान हासिल करने वाले गिरिडीह जिले की छह विधानसभा सीटों को लेकर सियासी तापमान चढ़ने लगा है। किसी जमाने में  लाल, हरे, झंडों और कांग्रेस का गढ़ रहा गिरिडीह  इलाके के राजनैतिक नक्शे पर 2014 के  मोदी लहर में 80 फीसद भगवा रंग चढ़ गया था। और 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद तो एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि हर तरफ भगवा रंग है। लेकिन इन सबके बावजूद गैर भाजपा दल अपने बिखरे हुए जनाधार को एक सूत्र में बांधने की ऱणनीति बनाने में जूटा हुआ ह्रै। यह ठीक है कि महागठबंधन नही तो गठबंधन ही सही इस फार्मूले  पर जिले की सभी छह विधानसभा सिंटों पर विपक्ष की और

झारखंड: दो आदिवासी महिला हॉकी खिलाडि़यों की संदिग्‍ध मौत पर प्रदर्शन

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

19 अक्टूबर को, झारखंड के सिमडेगा में सैकड़ों लोग हॉ दो युवा आदिवासी लड़कियों की मौत की पुलिस जांच में चूक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने एकत्र हुए। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन द्वारा आदिवासी महिला नेटवर्क, बगैचा, एनएचआरओ, नरेगा वॉच, और यूनाइटेड मिल्ली फोरम जैसे कई संगठनों (जो कि झारखंड जनधिकार महासभा से जुड़े हुए हैं) के साथ मिल कर किया गया।

पत्थलगड़ी गावों में हुए मानवाधिकार हनन से लगातार मुह फेरती झारखंड सरकार

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

6-7 अगस्त 2019 को सामाजिक कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं, पत्रकार व वकीलों के एक दल ने खूंटी ज़िले के कई पत्थलगड़ी गावों (खूंटी प्रखंड के घाघरा, भंडरा व हाबुईडीह व अर्की प्रखंड के कोचांग व बिरबांकी) का दौरा किया। यह तथ्यान्वेषण झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें कई संगठनों, जैसे आदिवासी अधिकार मंच,  AIPWA, HRLN, झारखंड मुंडा सभा, WSS आदि, ने हिस्सा लिया। महासभा झारखंड के कई जन संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक मंच है।

तीर्थों के समान है झ़ारखंड में गिरिडीह के देवी मंडप

:: कमलनयन ::

शारदीय नवरात्र में पूरा राष्‍ट्र आदिशक्ति की भक्ति में लीन हो जाता है। हर तरफ माता के जयकारो, शंख घ्वनी,और भक्ती गीतों से पूरा माहोल भक्तीमय हो जाता हैा झारखंड के गिरिडीह इलाके में आदि शक्ती की पूजा तकरीबन दौ सौ वर्षो से होती आरही है। 18 र्वी शत्त।ब्दी के उंतारार्थ में टिकेतों (राजा)  ने अपनी रियासतों में  नवरात्र के दिनों में जगतजननी की अराधना शुरू की थी।शाही खजाने से बड़े धुम धाम से देवी मंडपों में माँ दूर्गा पुजा का अनुष्ठान  सम्पन्न होता था । कई जगहों पर इस दरम्यान  मेला लगता था। जिसमे  कई गाँवों के लोग शामिल होते थे। इस दौरान भक्ती संगीत और लोक संस्कृति के कार्यक्रम किये जाते थे ।कलान्त

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धनवार: पहाड़पुर नदी पूल क्षतिग्रस्त, आवागमन वाधित, कई गाँवो का संर्पक प्रखण्‍ड मुख्यालय से टूटा

:: कमलनयन ::

गिरिरीह: गिरिडीह जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले तीन दिनों से होरही  लगातार बारिश  से एक ओर लोगो का जहाँ जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है वही दूसरी ओरधनवार प्रखण्ड के  पहाड़पुर स्थित नदी पर बने पूल का एक हिस्सा  ध्वस्त  हो गया जिसके  कारण आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया  है ।पुल के धसने से दोनों तरफ के हज़ारों लोगों की चिंताये बढ़ गई हैा बताया गया कि शनिवार को  अहले सुबह इसकी जानकारी तब आस-पड़ोस के लोगों को मिली जब लोग घूमने के लिए उक्त नदी तरफ आये  और उसके बाद पूल के दोनों तरफ फँसे ग्रामीणों की भीड़ जमा होगयी । बताया गया कि  पुल का निर्माण लाखों की लागत से 10 वर्ष पूर्व किया गया था  पुल सात स्पेन

Eleven districts of Jharkhand among top 100 in child marriage

:: Kelly Kislaya ::

Child marriage has been prevalent in Jharkhand for a long time. A report compiled by the National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) based on the data of National Family Health Survey (NFHS) 4, shows that 11 out of 24 districts of Jharkhand are in the list of top 100 districts of the country having highest child marriage percentage.  

Anita Devi (name changed) of Ambabad village in Koderma was only 8 when she was married. At the age of 26 today, she has two children and is carrying a third one.

“One day I was told by my parents that I am getting married and will have to go and live with my husband. I don’t remember the events much and neither did I think of protesting. After all it’s very common in our village,” she said.

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पड़ताल: सर्वे के सहारे लोगों की जिंद़गी तबाह करने पर तुला हुआ है वन विभाग

:: अरविन्द अविनाश ::

रमकंडा प्रखंड के कई गांवों में गाड़े जा चुके हैं पिलर
फसलों को रौंद कर कर दिया पौधरोपण

चाहे ब्रह्मदेव उरांव हो या कि पीताम्बर उरांव, अतबल मुंडा हो या कि रोशन तिर्की। बुधन भुईहर बताते हैं कि उन्हें भी आज से 60 साल पहले ही भूदान की जमीन मिली थी। बाप-दादे जमाने से उसमें खेती करते आ रहे थे, लेकिन वन विभाग ने पिलर गाड़ कर उसे हथिया लिया। डीएफओ का कहना है कि नक्शा के आधार पर ही नापी हुआ है। हम अपनी नौकरी नहीं देंगे। नक्शा हमने नहीं बनाया है। यदि नक्शा गलत है तो इसकी जिम्मेवारी हमारी नहीं है। आप लोग नक्शा सुधारवा दीजिए, नया नक्शा बनवा दीजिए, हम उससे ही नापी करवा देंगे। 

कहीं पे ठहाका-कहीं पे विशाद या यों कहेे कि कहीं पे खुशी-कहीं पे गम। यह कहावत 9 अगस्त, 19 को पूरी तरह चरितार्थ हो रही थी, गढ़वा जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर रमकंडा के दुर्जन गांव में। भारत समेत पूरी दुनिया में; अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के अवसर पर जब, आदिवासियों के अधिकार, स्वतंत्राता व सुरक्षा की बात दुहरायी जा रही थी, ठीक उसी समय गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के दुर्जन गांव के मनी उरांव के खेतों में लगे अरहर, मकई व धान के बिचड़ों को जेसीबी मशीन से रौंद कर पौधा लगाया जा रहा था। मनी उरांव पुरखा जमाने से आबाद की गई जमीन पर लगाये गए अरहर, मकई व रोपने के लायक तैयार हो गये धान के बिचड़ों को ब

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बलिगढ़ में बलवानों का अनोखा कारनामा, भुईयां लोगों की सारी जमीन करवा ली अपने नाम

:: अरविन्द अविनाश ::

गांव का पूरा भुईया समाज अपने खेत में लगी फसल को न तो काटने की स्थिति में है और न ही उपयोग में लाने की। मकई तैयार है और धान भी बढ़ कर लहलहा रहे हैं, लुटने वालों की मन की तरह। लेकिन न तो कोई मकई तोड़ सकता है और न ही धान को काट सकता है। कारण पूरी विवादित जमीन पर 144 लागू है। दोनों पक्ष जमीन का असली मालिक होने का दावा कर रहे हैं। विवाद के जड़ में सर्वे है, जो आज से 34-35 साल पहले यानी 1979-80 में शुरू हुआ था।

रंक को राजा और राजा को रंक होने की कहावत बहुत पुरानी है। अनायास ऐसा विश्वास नहीं होता। लेकिन जब मिथ लगने वाली बात यथार्थ में बदलती दिखे तो मानना ही पड़ता है। यही हुआ है, गढ़वा के रमकंडा प्रखंड के बलिगढ़ गांव में। बलिगढ़ में बलवानों का अनोखा कारनाम देखने को मिल रहा है। 1966-67 का भीषण अकाल न सिर्फ पलामू में बल्कि पूरे देश में चर्चित हुआ था। एक सौ पांच साल पहले यानी 1914 में एकसाथ आकर भाई की तरह बसे भुईया व खेरवार समुदाय के लोग, जो गांव के असली वशिंदे व कास्तकार थे, आज दाने-दाने को मोहताज होने के कगार पर हैं और एक समय रिरिया कर अनाज रखने के लिए इनसे जमीन का टुकड़ा मांगने वाला आज राजा बन बैठा है। <

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300 कोरवा परिवारों में से एक भी नहीं, जो सुशीला को साथ दे

:: अरविन्द अविनाश ::

खेत-खलिहान, गांव-समाज सबकुछ से हाथ धो चुकी है सुशीला व उसका परिवार
अपनी पीड़ा बताते हुए सुशीला न तो हिचकती है और न ही उदासी ही ओढ़ती है। उसकी आंखें दूर कोने में टिकी है, जो उसे हिम्मत दे रही है। बिना रूके, सबकुछ एक ही सांस में कह देने को आतुर। उसकी शिकायत बस अपने ही बिरादरी के लोगों से है, जो उत्पीड़क के लिए कुल्हाड़ी का बेंट बने हुए हैं। स्नातक तक पढ़ाई पूरी कर चुकी सुशीला कहती है कि हमारा तो सबकुछ छीन लिया गया। पेट भरने के काम आने वाला एकलौता खेत, अपना समाज, अपना निजी परिवार, अपना गांव, गांव की दुकान, सड़के और गलियां तक। नहीं छिन पाये तो सिर्फ प्रकृति का साथ, हवा-पानी और पेड़ के छांव।

गोबरदहा में गड़बड़झाला है, भाई!

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झारखंड एटीएस का दावा: अलकायदा का खुंखार आतंकवादी जमशेदपुर में गिरफ्तार

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

झारखंड एटीएस (अभियान) ने जमशेदपुर से एक विश्‍वस्‍तर के संदिग्‍ध आतंकवादी को गिरफ्तार करने का दावा किया है। पुलिस विज्ञप्ति के अनुसार गिरफ्तार व्‍यक्ति का नाम मौलाना कलीमुद्दीन है। बताया गया कि वह वैश्‍विक आतंकी ओसामा बिन लादेन के संगठन अलकायदा का सदस्‍य है। पुलिस के अनुसार, पहचान और स्‍थान बदल बदल कर वह तीन साल से झारखंड में रहकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में था।