सरना धर्म कोड की मांग वृहत झारखंड मांग की तर्ज पर आरंभिक कदम है : सालखन मुर्मू
आदिवासी धर्म कोड के लिए कोशिश करने वाले भी आखिर प्रकृति पूजक आदिवासियों की धार्मिक पहचान के लिए ही पहल कर रहे हैं। जो सही है। अत: वे भी हमारे मित्र हैं। उनसे भी निवेदन है कि वे इस समय 6 दिसंबर को आहूत रेल रोड चक्का जाम में सहयोग करें। ठीक उसी प्रकार जैसे पहले कभी बृहद झारखंड प्रांत की मांग की गई थी मगर छोटे झारखंड प्रांत को भी व्यावहारिकता के आधार पर स्वीकार किया गया था और अंततः झारखंड प्रदेश का निर्माण संभव हो सका है। अभी के समय हम बृहद आदिवासी धार्मिक पहचान के सैद्धांतिक आधार के खिलाफ नहीं है। मगर चूंकि व्यावहारिकता में 2011 की जनगणना में दर्ज सरना धर्म लिखने वालों की संख्या 50 लाख से ज्यादा रही है।
रांची: अलग धर्म कोड की मांग पर आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आहुत छह दिसंबर को राष्ट्रव्यापी रेल-रोड चक्का जाम आंदोलन को सफल बनाने में जुटे सेंगेल के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के लिए यह वक्त एकजूटता दिखाने का है। अलग अलग नाम से धर्म कोड की मांग कर रहे लोग ऐन वक्त एकजूटता दिखाकर सरना धर्म कोड नाम पर आरंभिक सहमति जताएं, ठीक उसी तरह जिस तरह एक समय अलग राज्य के लिए वृहत झारखंड के नाम पर लोगों ने केंद्र सरकार पर प्रभाव बनाया था। नतीजतन, छोटा झारखंड ही सही, मिला तो। अब आगे भी हम वृहत राज्य की मांग जारी रख सकते हैं। ठीक उसी तरह समय कम होने के कारण 2021 में शुरू होनेवाले मतगण