पत्थलगड़ी आंदोलन पर सामाजिक कार्यकर्त्ताओं की जांच रिपोर्ट: पत्थल पर अंकित संवैधानिक व्याख्याओं में चूक, लेकिन आंदोलन की मांगें जायज
रांची: खूंटी में पिछले दिनों पत्थलगड़ी आंदोलन का हड़कंप था। आदिवासी ग्रामीण आक्रोशित थे। उनका आरोप था कि संविधानप्रदत्त उनके अधिकारों को सरकारें नजरंदाज करती रहीं हैं। इसी का गुस्सा पत्थलगड़ी आंदोलन के रूप में फूटा। उधर, सरकारी मशीनरी ने पुलिस और सुरक्षा बल के बूते आंदोलन को तात्कालिक तौर पर दबा दिया। इस दौरान करीब 20 लोगों पर देशद्रोह का आरोप भी लगाया गया। इस पूरे मामले की जांच के लिए सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का एक दल पिछले दिनों खूंटी के कई गांवों का दौरा किया और जांच के बाद गुरूवार को रिपोर्ट प्रकाशित किया। प्रेस रिलीज के तौर पर जारी इस रिपोर्ट की प्रतिलिपि यहां प्रस्तुत है: