‘...जो तटस्थ है, समय लिखेगा उसका भी अपराध’
अचानक पत्रकार बिरादरी के कुछ मित्रों को पत्रकारिता में ‘निष्पक्षता’ और ‘तटस्थता’ याद आने लगी है. कहा जा रहा है कि पत्रकार को ‘वाद’ से परे रहना चाहिए. कि पत्रकार को किसी पक्ष से निकटता या दूरी नहीं रखनी चाहिए. इसका मतलब यदि सिर्फ यह है कि रिपोर्टिंग करते हुए पत्रकार को निष्पक्ष रहना चाहिए, तो कोई हर्ज नहीं है. पत्रकार को बेईमान तो नहीं ही होना चाहिए. हालांकि वित्तीय लोभ में या निजी निकटता/खुन्नस के कारण रिपोर्टिंग में भी डंडी मारने की बात छोड़ दें, तो दलीय/वैचारिक आग्रहों के कारण भी अपवादों को छोड़ अमूमन थोड़ी बहुत बेईमानी करते ही हैं.